Essay On Yadi Mai Pradhan Mantri Hoti मानव संभवत : महत्वकांक्षी प्राणी है। अपने भविष्य के बारे में वह अनेक प्रकार के सपने देखा करता है तथा कल्पना की उड़ान में खोया रहता है। कभी-कभी मेरे मस्तिष्क में भी एक अभिलाषा होती है -यदि में देश का प्रधानमंत्री होती।
यदि मैं प्रधानमंत्री होती तो ……… Essay On Yadi Mai Pradhan Mantri Hoti
पर यह अकांक्षा आकाश के तारे तोडऩे के समान है, तथापि फिर भी मन के किसी कोने से एक आवाज आती है। यह असंभव तो नहीं है। भारत का ही कोई व्यक्ति जब देश का प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करेगा तो तुम क्यों नहीं।यदि मेरी कल्पना साकार हो जाए, तो मैं अपने देश की विश्व के उन्नत, समृद्ध तथा शक्तिशाली राष्ट्रों के समकक्ष खड़ा करने में कोई कसर न छोड़ूंगी। मेरी दृष्टि में प्रधानमंत्री का सर्वप्रथम दायित्व है अपने देश को हर प्रकार से सबल और समृद्ध बनाना।
प्रधानमंत्री का दायित्व संभालते ही मेरे लिए राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि हो जाएगी। यद्यपि अपने पड़ोसी देशों से मित्रता का हाथ बढ़ाने में भी मैं पीछे नहीं हटूंगी पर सीमा पर हो रहे आतंकवाद तथा घुसपैठ को कतई सहन नहीं कर पाऊंगी। इसके लिए मुझे भारत की सैन्य शक्ति में वृद्धि करनी होगी जिससे शत्रु राष्ट्र हम पर आँख उठाने की भी हिम्मत न कर सकें।
मैं घुसपैठियों के सारे रास्तों को बंद करवाकर शत्रु को ऐसा पाठ पढ़ाऊंगी कि वहां कभी हमला करने का दुस्साहस न कर सकें और यदि आवश्यक हुआ तो युद्ध से भी पीछे नहीं हटूंगी। उस संदर्भ में मैं अंतर्राष्ट्रीय दबाव में नहीं आऊंगी। मेरा आदर्श तो कवि दिनकर की ये पंक्तियां होंगी-
छोड़ों मत अपनी आन
भले शीश कट जाए,
मत झुको अन्य पर
भले व्योम फट जाए
दो बार नहीं यमराज कंठ धरता है
मरता है जो एक ही बार मरता है
तुम स्वंय मरण के मुख पर चरण धरो रे
जीना है तो मरने से नहीं डरो रे।
प्रधानमंत्री बनने पर मैं देश व्याप्त भ्रष्टाचार, बेईमानी, रिश्वतखोरी तथा भाई भतीजावाद को समाप्त करने के लिए पूरा प्रयास करूंगी तथा देश को स्वच्छ तथा पारदर्शी सरकार दूंगी। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करूंगी।
मेरा मानना है कि आज भारत को जितना बाहरी शत्रु से खतरा है उससे अधिक भीतरी दुश्मनों से है। देश में बढ़ता आतंकवाद तथा सांप्रदायिकता भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को खोखला कर रहे हैं तथा राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए खतरा बन गए हैं। मैं इन पर नकेल कसने के लिए नए कानून बनाकर इन दुष्प्रवत्तियों पर अंकुश लगाऊंगी।
प्रधानमंत्री बनने के बाद आतंकवाद को जड़ से समाप्त करके ही दम लूंगी।मैं यह भली-भांति जान चुकी हूं कि देश के जिस प्रकार की शिक्षा पद्धति प्रचलित है, वह अत्यंत दूषित, उद्देश्यविहीन तथा रोजगारोन्मुख बनाऊंगी। मैं पूरे देश में समान शिक्षा पद्धति लाने के लिए संविधान में परिवर्तन करने का प्रयास भी करूंगी।
भारत विश्व के बड़ें राष्ट्रों से आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। मेरा यह प्रयास होगा कि आर्थिक दृष्टि से यह विश्व के उन्नत देशों के समकक्ष आ सके। इसके लिए मेरी दो योजनांए होंगी- कृषि का आधुनिकीकरण तथा उद्योग धंधों को बढ़ावा।प्रधानमंत्री बनने पर मैं विभिन्न टी.वी. चैनलों के माध्यम से हमारी संस्कृति पर हो रहे कुठाराघात को रोकूंगी तथा भारतीय संस्कृति के औरत की रक्षा करूंगी।
खेल जगत में भारत के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए मैं देशव्यापी अभियान चलाकर प्रतिभाशाली तथा उदीयभान खिलाडिय़ों का चयन कर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की योजना को कार्यरूप दूंगी।
मैं मानती हूं कि इतने सभी कार्य एंव सुधार करने अत्याधिक कठित हैं तथापि मेरा दृढृनिश्चय है कि यदि एक बार प्रधानमंत्री बन गयी तो सब कर पाऊंगी।
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