Yadi Mai Shiksha Mantri Hoti To यदि मै शिक्षा मंत्री होती तो ………….. यह एक काल्पनिक निबंध है | आप अपनी कल्पना यहाँ पर प्रस्तुत कर सकते हो | If I Were Education Minister …………..
यदि मै शिक्षा मंत्री होती तो ………….. हिंदी निबंध Yadi Mai Shiksha Mantri Hoti To
कल्पना करना और अपने भावी जीवन के लिए मधुर स्वप्न संजोना मानव की सहज प्रवृत्ति है | एक विद्यार्थी होने के कारण जब आज मैं देश में चल रही शिक्षा पद्धिति पर नजर डालती हूँ तो मन खिन्न हो उठता है | मुझे लगता है कि आज देश में जितनी दुर्दशा शिक्षा की हो रही है, उतनी संभवत: किसी अन्य वस्तु की नहीं | लार्ड मैकाले ने भारत में स्वार्थवृत्ति के कारण जिस शिक्षा पद्धिति की शुरुआत की, वही आज तक चल रही है |
मैंने पढ़ा है कि शिक्षा पद्धिति में सुधार के लिए न जाने कितने आयोग बने, कितनी ही समितियां बनी, पर इनके मूल ढांचे में कोई परिवर्तन ही नहीं हुआ | इसीलिए मेरे मन में एक विचार आया कि यदि मैं देश की शिक्षा मंत्री बन जाऊँ, तो इन दोषों को सुधारने में कोई कसर नहीं छोडूंगी |
आजकल देश में दो तरह के स्कूल चल रहे हैं | एक वे पब्लिक स्कूल जिनमें अमीरों के बच्चे पढ़ते हैं तथा जहाँ शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है | जिसमे प्रवेश के लिए पचास हजार से लेकर दो-तीन लाख रूपये तक का डोनेशन देना पड़ता है और दुसरे वे सरकारी विद्द्यालय जिनमे समाज के माध्यम या निर्धन परिवारों के पढ़ते हैं, जो पब्लिक स्कूलों में पढ़ने की कल्पना भी नहीं कर सकते |
देश की शिक्षा मंत्री बनने पर मेरा सर्वप्रथम काम होगा | इन पब्लिक स्कूलों की व्यापारिक मनोवृत्ति पर अंकुश लगाना | मैं पूरे देश में एक ही प्रकार के विद्द्यालयों की स्थापना के लिए प्रयास करूँगी | मैं जानती हूँ कि ऐसा करना आसान नहीं होगा क्योंकि समाज के उच्च तथा धनाढ्य वर्ग ऐसा कभी नहीं चाहेंगे | यदि मैं इसमें सफल न हुई, तो इतना तो अवश्य करुँगी कि पब्लिक स्कूलों में 50 प्रतिशत स्थान छात्रों के लिए आरक्षित जरूर करवाऊंगी |
शिक्षा मंत्री बनने पर मेरा ध्यान पाठ्य पुस्तकों पर भी होगा | मैंने यह स्वयं अनुभव किया है कि प्राथमिक, मिडिल तथा उच्च सभी श्रेणियों में बालकों को न तो खेलने-कूदने का समय है और न मनोरंजन का | छोटे बालकों के बसते का वजन भी उनके अपने बोझ के बराबर होता है | मैं पाठ्यपुस्तकों के इस बोझ को निश्चय ही कम कराऊंगी |
मैं, देश में चल रही वर्तमान प्रणाली में अमूल चूल परिवर्तन करूँगी | जो परीक्षा पद्धिति तीन घंटों में विद्द्यार्थी की योग्यता का मूल्यांकन करती हो, मेरी दृष्टि में वह किसी भी भांति सही नहीं हो सकती | मैं शिक्षा में सत् एवं समग्र मूल्यांकन पद्धति को शुरू करूँगी जिसे छात्रों की योग्यता तथा क्षमता का उचित मूल्यांकन किया जा सके |
आज के अध्यापकों द्वारा विद्द्यालयों में ठीक से न पढ़ाने और ट्यूशन को बढ़ावा देने के विरुद्ध मैं कठोर कदम उठाउंगी मेरी योजना होगी कि अध्यापकों का चयन उनकी योग्यता के आधार पर किया जाये तथा उनका वार्षिक वेतन वृद्धि का आधार भी उनका परीक्षा फल हो | जिस अध्यापक की परीक्षाफल ठीक नहीं होगा, उसके विरुद्ध कार्यवाही करने का आदेश दूँगी |
मैं शिक्षा को धर्म तथा राजनीति से अलग रखने के लिए कानून बनाऊंगी | जो शिक्षण संस्था इस कानून का उल्लंघन करेगी उसके विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही करने से भी नहीं हिचकूंगी | इसी प्रकार जिन निजी शिक्षण संस्थाओं में अध्यापकों का शोषण किया जाता है, उन्हें कम वेतन दिया जाता है | और हस्ताक्षर पूरे वेतन पर करवाए जाते हैं, उनकी खुफिया जांच करवाकर उनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही कराऊंगी | ऐसे विद्यालयों की मान्यता ही रद्द कर दी जाएगी या उन्हें सरकारी अधिकार मिल जाने के लिए कानून पास कराऊंगी |
मैं जानती हूँ कि शिक्षा में सुधार में मेरी उपर्युक्त योजनाए साकार करना, अत्यधिक कठिन है पर किसी ने ठीक कहा है –‘जहाँ चाह वहाँ राह’ | यदि किसी बात को मन में ठान लिए जाये, तो उसे प्राप्त करना असंभव नहीं होता | ईश्वर से यही प्रार्थना है कि एक बार मुझे शिक्षा मंत्री बनने का सुअवसर प्रदान करें तथा मेरी योजनाओं को सफल करने में सहायक हों |
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Very nice explanation dear. Helped me a lot in in my school project. Keep making nice blog posts like these.Please make a (HINDI) Nibandh on ” If I was the Indian Godmother who can control everything in India” … “Yadi mein Bharat desh ki Maa hoti aur har cheez par mera qabu (POWER) hota” . DHANYAVAD again for this helpful post of yours.
धन्यवाद इंशाजी ,
आपके महत्त्वपूर्ण comment के लिए और आपके एक निबंध लिखने के लिए कहा है वो भी जल्द ही लिखने की कोशिश करुँगी .